ⓘ भारतीय पुनर्वास परिषद
भारतीय पुनर्वास परिषद को एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में १९८६ में स्थापित किया गया था। सितम्बर १९९२ को भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम संसद द्वारा पारित किया गया और उस अधिनियम के द्वारा भारतीय पुनर्वास परिषद एक सांविधिक निकाय के रूप में २२ जून १९९३ को अस्तित्व मे आयी। अधिनियम को संसद द्वारा वर्ष २००० में इसे और अधिक व्यापक बनाने के लिए इसमे संसोधन किया गया। इस जनादेश के द्वारा भारतीय पुनर्वास परिषद के नीतियो व कार्यक्रमो को विनियमित करने, विकलांगता वाले व्यक्तियों के पुनर्वास एवं शिक्षा का दायित्व दिया गया, पाट्यक्रमो का मानकीकरण करना और एक केन्द्रिय पुनर्वास रजिस्टर सभी योग्य पेशेवरों और विशेष शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले व्यवसायिको और कर्मिको को एक केन्द्रिय पुनर्वास पंजिका में पंजीकृत करने का कार्य सौपा गया। इस अधिनियम के तहत अयोग्य व्यक्तियों के द्वारा विक्लांगता वाले व्यक्तियों को सेवाएं देने के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाई करने का अधिकार प्रदान किया गया है। इसके वर्तमान अध्यक्ष मेजर जेनरल इआन कार्डोजो हैं। संस्थान बी-२२, कुतुब इन्स्टीटयूशनल एरिया, नई दिल्ली ११० ०१६ में स्थित है।
1. उद्देश्य
विकलांग व्यक्तियों के पुनर्वास के क्षेत्र में प्रशिक्षण नीतियों और कार्यक्रमों को विनियमित करना।
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय संस्थाओं और शीर्ष संस्थानों में कार्यरत कार्मिकों को पंजीकृत करना।
- व्यावसायिक पुनर्वास केन्द्रों में कार्यरत व्यावसायिक अनुदेशकों और अन्य कार्मिकों को पंजीकृत करना।
- मान्यता प्राप्त पुनर्वास योग्यता रखने वाले व्यावसायिकों/कार्मिकों के केन्द्रीय पुनर्वास रजिस्टर का रखरखाव करना।
- निःशक्त व्यक्तियों के पुनर्वास के क्षेत्र में स्नातकोत्तर डिग्री /स्नातक डिग्री/स्नातकोत्तर डिप्लोमा/ प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम चलाने वाली संस्थाओं/विश्वविद्यालयों को मान्यता प्रदान करना।
- देश और विदेश में कार्यरत संगठनों के सहयोग के द्वारा पुनर्वास और विशेष शिक्षा के क्षेत्र में अनुवर्ती शिक्षा को प्रोत्साहित करना।
- विकलांग व्यक्तियों के लिए कार्य कर रहे व्यावसायियों के प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में मानकीकरण लाना।
- भारत और विदेश में कार्यरत संगठनों के सहयोग के द्वारा पुनर्वास के क्षेत्र में शिक्षा और प्रशिक्षण के संबंध में नियमित आधापर सूचना एकत्र करना।
- व्यावसायिक पुनर्वास केन्द्रों को जनशक्ति विकास केन्द्रों के रूप में मान्यता देना।
- विदेशी विश्वविद्यालयों/संस्थाओं द्वारा डिग्रियों/डिप्लोमाओं/प्रमाणपत्रों को पारस्परिक आधापर मान्यता प्रदान करना।
- विकलांग व्यक्तियों से संबंधित व्यावसायिक/कार्मिकों की विभिन्न श्रेणियों के शिक्षण और प्रशिक्षण के न्यूनतम मानक निर्धारित करना।
- देश में सभी संस्थाओं में समान रूप से इन मानकों को विनियमित करना।
- आधिकारिक जालस्थल
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